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[Must read] इसे पढिये ,इसे पढ़े बिना IAS की कोचिंग में दाखिला मत लीजिये ,नहीं पछतायेंगे

रक्षा बंधन पर एक बहन की पाती जिसके भाई को मुखर्जी नगर में खूब लूटा गया

इसे पढिये ,इसे पढ़े बिना IAS की कोचिंग में दाखिला मत लीजिये ,नहीं पछतायेंगे

मुखर्जी नगर(IAS के गढ़) के पुराने अध्यापक
....…...................................
1825 दिन पहले UPSC ने पाठ्यक्रम बदलने का निर्णय लिया , आदम हौआ के जमाने के टीचर इस बदले सिलेबस के हिसाब से बेकार हो गये।ये बात यद्यपि की छात्रों को बाद में पता चली लेकिन इन आदिकालीन अध्यापकों को पहले पता चल गयी। मरने के पहले इन्हें अपने बुढ़ापे की पेंशन का जुगाड़ करने की चिंता हुई। इसी चिंता ने 4 प्राचीन अध्यापकों को मिला दिया।ये 4 थे धर्मेंद्र (दर्शन शास्त्र ) आलोक रंजन (भूगोल) रजनीश राज (इतिहास) और राजेश मिश्रा (राजनीति विज्ञान)..और जन्म हुआ एक नई कोचिंग का जिसका नाम GS Academy था।इन्होंने फीस गिरा दी 25000 rs , कम फीस , हड़प्पाकालीन अध्यापकों के चलते इसमें 4000 से अधिक छात्रों ने एडमिशन लिया। इसे देख कर 5 दूसरे प्राचीन जन ने हाथ मिलाया , फीस और गिरायी जन्म हुआ IIGS का,इसमें मणिकांत (इतिहास) अभय कुमार (लोक प्रसाशन ) आर.कुमार (S&T) के. सिद्धार्थ (भूगोल) s.s पांडेय ( भारतीय समाज) ने मिल कर 5000 बच्चों का प्रवेश लिया। कम फीस ,पैसे को लेकर बंदर बांट , अध्यापकों की कमजोरी के चलते दोनो संस्थान 10 माह में बंद हो गये। बच्चे सड़क पर आ गये। उनका आधा कोर्स भी पूरा न हुआ।कम फीस जमा करने के बाद हिंदी माध्यम का बच्चा बची फीस को कपड़े ,जूते ,मोबाइल पर खर्च कर लेता है।6 माह बाद उसके पास फूटी कौड़ी भी नहीं रहती।अगली कोचिंग कहाँ से करेगा।उसके पास दो विकल्प हैं।एक कि वो टीचरों की माँ बहन करे। दूसरी की जहाँ किस्मत ले जाये। इन बच्चों के साथ दूसरा वाला हुआ।
इसी दौरान 1 नई कोचिंग खुली जिसका नाम GS World था।लेकिन उसे थके हुये टीचरों ने खोला था। उसकी हालत खराब थी। इसी काल मे एक कोचिंग जो 3 बार GS चला कर बंद कर चुकी थी भी फिर से GS चलाने की कोशिश कर रही थी।उसका नाम था दृष्टि। GS Academy और IIGS बंद होने के बाद कुछ teacher GS World में चले गये। GS world ने इन पुराने छात्रों को अपने यहां निशुल्क पढ़ाने का न्योता दिया। लुट चुके गरीब छात्र क्या करते।जा कर 509 बच्चों के बैच में बैठ गये। जो प्राचीन युवा शिक्षक GS world. में नहीं गये।उन्होंने नई कोचिंग खोली और इन बच्चों को वहाँ भी पढ़ने का न्योता दिया।इस कोचिंग का नाम था GSI. इन दोनों संस्थानों का मानना था कि पुराने बच्चों की भीड़ देख कर नये गिर भेंड़ की तरह भर जाएंगे। GSI ज्यादा दिन न चल सकी । GSI के शिक्षक GS world में जा मिले। बच्चे अनाथ और विधुर , विधवा की तरह G world में भर गये। अब वहां ख़र्च ज्यादा न बढ़े, इसलिए एक ही बैच में 1000 बच्चों को बैठा दिया गया। पीड़ित बच्चों के दर्द का भार असहनीय था। वे ऐसी कोचिंग की सलाह देने लगे जो घटिया भले पढ़ाये मगर कम से कम स्थिर हो। बिल्ली के भाग से छींका टूटा। 3 बार Gs की असफल प्रयास के बाद।लड़खड़ाती कोचिंग को प्राण मिल गए। वो निम्न स्तरीय लेकिन स्थिर कोचिंग दृष्टि थी।दृष्टि ने इसे खूब भुनाया।एक आदमी के हाथ के नियंत्रण के कारण , उसने प्रचार के सारे माध्यम तोड़ डाले।प्रचार बस प्रचार।प्रबंधन बस प्रबंधन उसका सिद्धांत था । इसकी टीचर भर्ती कितनी कमजोर है इस बात से पता चलता है कि इसका नया इकॉनमी का अध्यापक पैरामाउंट कोचिंग का SSC का टीचर था।
थके हुये अध्यापकों से बच्चों का मोह भंग हो चुका था।नये युवा योग्य शिक्षक बाजार में आने लगे थे। अब इन बुझते हुये दीपकों की आखिरी फड़फड़ाहट चल रही है।GS world fir टूट गया। SS pandey को 100 बच्चों को पढ़ाने का सरकारी ठेका मिला है।इसमें कुल 1 करोड़ 35 लाख रुपये मिलने हैं।लेकिन आधा ही मिलता है।बाकी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। इन्होंने फ्री कोचिंग( दीक्षांत) के नाम पर बच्चों को 10 हज़ार ,5 हज़ार ..जो जिससे मिले के आधार पर एडमिशन शुरू किया है।ये कितने दिन चलेगी , राम जाने। खुदा जाने। इनके पास कुछ बच्चे आ गये। इसे देखकर r.kumar, abhay kumar ने reed IAS नाम से भी 15000 में पढ़ाने के लिए कोचिंग खोल ली। इनके पास तो कोई सरकारी ठेका भी नहीं है। आपके पास कई विकल्प हैं। दृष्टि , निर्माण ,EG,ALS, GS world ,औऱ ये दोनों भानु मति के कुनबे दीक्षांत और रीढ़। जहाँ मन हो पढ़िए।लेकिनसोच समझकर।गरीब माँ बाप 2 बार पैसा नहीं दे पायेंगे।
मेरे भइया ने जैसा मुझे बताया मैंने लिख दिया। वो आज से 5 साल पहले तैयारी करने गये थे।आज उन्होंने राखी के दिन जहर खा लिया।बच गये हैं।कह रहे हैं कि बहन मैं कुछ न बन सका और कह कर रोने लगे।लेकिन उसमें इन नीचों का ज्यादा हाथ है।मैं अब घर पर पढूंगा और यहीं से बनूगा।लेकिन बाकी बच्चों को सावधान करना जरुरी है।मैं भी भइया के साथ घर पर रहूंगी।पापा ने मुखर्जी नगर भेजने से मना कर दिया है , इसे प्लीज फारवर्ड करिये ,प्लीज।एक पीड़ित भाई की बहन... SWATI

{Sourced from a reliable whatsapp message}

What does it mean?

Comments

  • रक्षा बंधन पर एक बहन की पाती जिसके भाई को मुखर्जी नगर में खूब लूटा गया

    इसे पढिये ,इसे पढ़े बिना IAS की कोचिंग में दाखिला मत लीजिये ,नहीं पछतायेंगे

    मुखर्जी नगर(IAS के गढ़) के पुराने अध्यापक
    ....…...................................
    1825 दिन पहले UPSC ने पाठ्यक्रम बदलने का निर्णय लिया , आदम हौआ के जमाने के टीचर इस बदले सिलेबस के हिसाब से बेकार हो गये।ये बात यद्यपि की छात्रों को बाद में पता चली लेकिन इन आदिकालीन अध्यापकों को पहले पता चल गयी। मरने के पहले इन्हें अपने बुढ़ापे की पेंशन का जुगाड़ करने की चिंता हुई। इसी चिंता ने 4 प्राचीन अध्यापकों को मिला दिया।ये 4 थे धर्मेंद्र (दर्शन शास्त्र ) आलोक रंजन (भूगोल) रजनीश राज (इतिहास) और राजेश मिश्रा (राजनीति विज्ञान)..और जन्म हुआ एक नई कोचिंग का जिसका नाम GS Academy था।इन्होंने फीस गिरा दी 25000 rs , कम फीस , हड़प्पाकालीन अध्यापकों के चलते इसमें 4000 से अधिक छात्रों ने एडमिशन लिया। इसे देख कर 5 दूसरे प्राचीन जन ने हाथ मिलाया , फीस और गिरायी जन्म हुआ IIGS का,इसमें मणिकांत (इतिहास) अभय कुमार (लोक प्रसाशन ) आर.कुमार (S&T) के. सिद्धार्थ (भूगोल) s.s पांडेय ( भारतीय समाज) ने मिल कर 5000 बच्चों का प्रवेश लिया। कम फीस ,पैसे को लेकर बंदर बांट , अध्यापकों की कमजोरी के चलते दोनो संस्थान 10 माह में बंद हो गये। बच्चे सड़क पर आ गये। उनका आधा कोर्स भी पूरा न हुआ।कम फीस जमा करने के बाद हिंदी माध्यम का बच्चा बची फीस को कपड़े ,जूते ,मोबाइल पर खर्च कर लेता है।6 माह बाद उसके पास फूटी कौड़ी भी नहीं रहती।अगली कोचिंग कहाँ से करेगा।उसके पास दो विकल्प हैं।एक कि वो टीचरों की माँ बहन करे। दूसरी की जहाँ किस्मत ले जाये। इन बच्चों के साथ दूसरा वाला हुआ।
    इसी दौरान 1 नई कोचिंग खुली जिसका नाम GS World था।लेकिन उसे थके हुये टीचरों ने खोला था। उसकी हालत खराब थी। इसी काल मे एक कोचिंग जो 3 बार GS चला कर बंद कर चुकी थी भी फिर से GS चलाने की कोशिश कर रही थी।उसका नाम था दृष्टि। GS Academy और IIGS बंद होने के बाद कुछ teacher GS World में चले गये। GS world ने इन पुराने छात्रों को अपने यहां निशुल्क पढ़ाने का न्योता दिया। लुट चुके गरीब छात्र क्या करते।जा कर 509 बच्चों के बैच में बैठ गये। जो प्राचीन युवा शिक्षक GS world. में नहीं गये।उन्होंने नई कोचिंग खोली और इन बच्चों को वहाँ भी पढ़ने का न्योता दिया।इस कोचिंग का नाम था GSI. इन दोनों संस्थानों का मानना था कि पुराने बच्चों की भीड़ देख कर नये गिर भेंड़ की तरह भर जाएंगे। GSI ज्यादा दिन न चल सकी । GSI के शिक्षक GS world में जा मिले। बच्चे अनाथ और विधुर , विधवा की तरह G world में भर गये। अब वहां ख़र्च ज्यादा न बढ़े, इसलिए एक ही बैच में 1000 बच्चों को बैठा दिया गया। पीड़ित बच्चों के दर्द का भार असहनीय था। वे ऐसी कोचिंग की सलाह देने लगे जो घटिया भले पढ़ाये मगर कम से कम स्थिर हो। बिल्ली के भाग से छींका टूटा। 3 बार Gs की असफल प्रयास के बाद।लड़खड़ाती कोचिंग को प्राण मिल गए। वो निम्न स्तरीय लेकिन स्थिर कोचिंग दृष्टि थी।दृष्टि ने इसे खूब भुनाया।एक आदमी के हाथ के नियंत्रण के कारण , उसने प्रचार के सारे माध्यम तोड़ डाले।प्रचार बस प्रचार।प्रबंधन बस प्रबंधन उसका सिद्धांत था । इसकी टीचर भर्ती कितनी कमजोर है इस बात से पता चलता है कि इसका नया इकॉनमी का अध्यापक पैरामाउंट कोचिंग का SSC का टीचर था।
    थके हुये अध्यापकों से बच्चों का मोह भंग हो चुका था।नये युवा योग्य शिक्षक बाजार में आने लगे थे। अब इन बुझते हुये दीपकों की आखिरी फड़फड़ाहट चल रही है।GS world fir टूट गया। SS pandey को 100 बच्चों को पढ़ाने का सरकारी ठेका मिला है।इसमें कुल 1 करोड़ 35 लाख रुपये मिलने हैं।लेकिन आधा ही मिलता है।बाकी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। इन्होंने फ्री कोचिंग( दीक्षांत) के नाम पर बच्चों को 10 हज़ार ,5 हज़ार ..जो जिससे मिले के आधार पर एडमिशन शुरू किया है।ये कितने दिन चलेगी , राम जाने। खुदा जाने। इनके पास कुछ बच्चे आ गये। इसे देखकर r.kumar, abhay kumar ने reed IAS नाम से भी 15000 में पढ़ाने के लिए कोचिंग खोल ली। इनके पास तो कोई सरकारी ठेका भी नहीं है। आपके पास कई विकल्प हैं। दृष्टि , निर्माण ,EG,ALS, GS world ,औऱ ये दोनों भानु मति के कुनबे दीक्षांत और रीढ़। जहाँ मन हो पढ़िए।लेकिनसोच समझकर।गरीब माँ बाप 2 बार पैसा नहीं दे पायेंगे।
    मेरे भइया ने जैसा मुझे बताया मैंने लिख दिया। वो आज से 5 साल पहले तैयारी करने गये थे।आज उन्होंने राखी के दिन जहर खा लिया।बच गये हैं।कह रहे हैं कि बहन मैं कुछ न बन सका और कह कर रोने लगे।लेकिन उसमें इन नीचों का ज्यादा हाथ है।मैं अब घर पर पढूंगा और यहीं से बनूगा।लेकिन बाकी बच्चों को सावधान करना जरुरी है।मैं भी भइया के साथ घर पर रहूंगी।पापा ने मुखर्जी नगर भेजने से मना कर दिया है , इसे प्लीज फारवर्ड करिये ,प्लीज।एक पीड़ित भाई की बहन... SWATI

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    What does it mean?
    So sad,,, its harsh reality
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